प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2025, बढ़ा आवंटन: किसानों को बड़ी राहत |

सरकार ने किसानों की भलाई और कृषि क्षेत्र के सशक्तिकरण के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) का बजट बढ़ाकर ₹69,515 करोड़ कर दिया है। यह निर्णय 1 जनवरी 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की पहली बैठक में लिया गया। इस योजना के विस्तार और उर्वरक सब्सिडी को स्थिर रखने के ऐलान ने किसानों को बड़ी राहत दी है। आइए विस्तार से जानते हैं कि यह कदम किसानों की मदद कैसे करेगा।


प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का विस्तार

PMFBY योजना को 2025-26 तक जारी रखने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को उनकी फसल की सुरक्षा कवरेज दी जाएगी। यह योजना विशेष रूप से उन किसानों के लिए वरदान है, जो सूखा, बाढ़, ओलावृष्टि जैसी आपदाओं से अपनी फसल गंवा बैठते हैं।

सरकार ने योजना के तहत नई तकनीकों का उपयोग बढ़ाने की घोषणा की है। यस-टेक और विंड्स जैसी तकनीकों की मदद से फसलों का आकलन और दावा निपटान प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाया जाएगा। इसके लिए सरकार ने ₹824.77 करोड़ का FIAT (फसल बीमा अनुसंधान और तकनीकी विकास) कोष बनाया है।


डीएपी उर्वरक की कीमतें स्थिर

किसानों की राहत के लिए सरकार ने डाय-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) उर्वरक की कीमतें स्थिर रखी हैं। 50 किलोग्राम के डीएपी बैग की कीमत ₹1,350 बनी रहेगी, जबकि इसकी वास्तविक लागत लगभग ₹3,000 है। यह अंतर सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।

डीएपी की वैश्विक कीमतों में उतार-चढ़ाव और समुद्री मार्गों में अस्थिरता के बावजूद सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि भारतीय किसानों को इसका प्रभाव न झेलना पड़े। इसके लिए ₹3,850 करोड़ का विशेष पैकेज मंजूर किया गया है।


तकनीकी के उपयोग से लाभ

फसल बीमा योजना को अधिक प्रभावी बनाने के लिए तकनीकी पहलों पर जोर दिया गया है। यस-टेक और विंड्स जैसी आधुनिक तकनीकों के जरिए फसलों का सटीक आकलन किया जाएगा। दावा निपटान प्रक्रिया को सरल और तेज बनाने के लिए तकनीक का सहारा लिया जाएगा।

FIAT कोष के तहत अनुसंधान और तकनीकी विकास को प्राथमिकता दी जाएगी। यह किसानों को बेहतर सेवाएं प्रदान करेगा और योजना की पारदर्शिता को बढ़ाएगा।


सरकार की प्राथमिकताएं: किसान और कृषि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को प्राथमिकता देते हुए कई बड़े कदम उठाए हैं। 2014 से अब तक सरकार ने उर्वरक सब्सिडी को दोगुना कर ₹1.9 लाख करोड़ तक पहुंचा दिया है। कोविड महामारी और भू-राजनीतिक संकटों के दौरान भी सरकार ने सुनिश्चित किया कि किसानों को किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।

डीएपी और अन्य उर्वरकों की स्थिर कीमतें और फसल बीमा योजना का विस्तार यह दर्शाता है कि सरकार कृषि क्षेत्र को सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। इन योजनाओं से किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का प्रयास किया गया है।


किसानों के लिए आर्थिक राहत

फसल बीमा योजना के जरिए किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा कवच मिलता रहेगा। यह योजना न केवल उन्हें आर्थिक मदद प्रदान करती है, बल्कि उनके जीवन में स्थिरता लाने का प्रयास भी करती है।

डीएपी उर्वरक की स्थिर कीमतें किसानों को उत्पादन लागत कम करने में मदद करेंगी। वैश्विक बाजार की अस्थिरता और रेड सी जैसे समुद्री मार्गों में असुरक्षा के बावजूद सरकार ने भारतीय किसानों के हित को सर्वोपरि रखा है।


फसल बीमा योजना और सब्सिडी का महत्व

किसानों के लिए फसल बीमा योजना और उर्वरक सब्सिडी के फायदे:

  1. फसल सुरक्षा कवरेज: प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान से राहत।
  2. उर्वरक लागत में कमी: डीएपी की स्थिर कीमत से लाभ।
  3. आर्थिक स्थिरता: सरकारी मदद से किसानों को राहत।
  4. तकनीकी का उपयोग: आधुनिक तकनीकों के जरिए पारदर्शिता और तेजी।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का बढ़ा हुआ बजट और डीएपी उर्वरक की स्थिर कीमतें किसानों के लिए बड़ा सहारा साबित होंगी। सरकार के इन फैसलों से न केवल कृषि क्षेत्र को मजबूती मिलेगी, बल्कि किसानों की आय भी बढ़ेगी।

यह कदम इस बात का प्रमाण है कि सरकार कृषि और किसानों की भलाई को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। तकनीकी सुधार और वित्तीय मदद के जरिए किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह प्रयास एक मील का पत्थर साबित होगा।

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